जानें: अटल के नाम के साथ जुड़े बिहारी का सच, क्यों कहते हैं कुछ लोग उन्हें कम्यूनिस्ट

एनटी न्यूज डेस्क/श्रवण शर्मा/नई दिल्ली

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 93 साल की उम्र में निधन हो गया है। पूरा देश उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। वाजपेयी के चाहनेवाले उनके भाषणों, कविताओं और हाजिर जवाबी के अंदाज से उन्हें याद कर रहे हैं। अटल बिहारी का जीवन संघर्ष से भरा रहा, देश के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं। लेकिन इनके जीवन में विवाद कम नहीं थे। और इन विवादों और अटकलों पर वाजपेयी ने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया है।

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“मैं अटल भी हूं और बिहारी भी हूं”

इस बात को लेकर भी रजत शर्मा ने सवाल पूछा था कि अटल जी, आपके नाम में विरोधांतर है। जो अटल है वह बिहारी कैसे हो सकता है? इसके जवाब में अटल बिहारी वाजपेयी मुस्कुराते हुए कहा था कि मैं अटल भी हूं और बिहारी भी हूं। जहां अटल होने की आवश्यकता है वहां अटल हूं और जहां बिहारी होने की जरुरत है वहां बिहारी भी हूं। मुझे दोनों में कोई अंतर्विरोध दिखाई नहीं देता

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कम्युनिस्ट की सच्चाई

वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने इंटरव्यू के दौरान अटल बिहारी से कन्युनिस्ट वाली बात को लेकर सवाल किया था तो उन्होंने साफ तौर पर कहा था किएक बालक के नाते मैं आर्यकुमार सभा का सदस्य बना। इसके कुछ समय बाद मैं आरएसएस के संपर्क में आया था।

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आगे वे कहते हैं कि कम्युनिज्म को मैंने एक विचारधारा के रूप में पढ़ा और इससे सीखा है। मैं अधिकारिक रूप से कभी कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य नहीं रहा लेकिन छात्र आंदोलन में मेरी हमेशा रुचि थी क्योंकि कम्युनिस्ट एक ऐसी पार्टी थी जो छात्रों को संगठित करके आगे बढ़ती थी। इसलिए छात्र जीवन में उनके के संपर्क में आया और कॉलेज की छात्र राजनीति में भाग लिया।

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