एक ऐसा आईपीएस जिसके नाम से नक्सलियों के पसीने छूट जाते हैं

एनटी डेस्क न्यूज/ श्रवण शर्मा /लखनऊ

देश की बागडोर असल मायने में अफसरों के हाथ में होती है। यदि नौकरशाही दुरुस्त हो तो कानून-व्यवस्था चाकचौबंद रहती है। जिस तरह से भ्रष्टाचार का दीमक नौकरशाही को खोखला किए जा रहा है, लोगों का उसपर से विश्वास उठता जा रहा है।

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एक IPS ऐसा भी

लेकिन कुछ ऐसे भी IAS और IPS अफसर हैं, जो ईमानदारी के दम पर नौकरशाही की साख बचाए हुए हैं। उनके कारनामे आज मिशाल के तौर पर पेश किए जा रहे हैं। Newstanks ऐसे ही एक ऐसे  बहादुर पुलिस अफसर के कारनामों से आपका रापता कराएगा जिसने लाखों आदिवासियों को जीने की उम्मीद दी। नक्सलियों को मौका दिया समर्पण का और जो ना माना उसे मौत के घाट उतार दिया। वो हैं छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में तैनात आई पी एस जितेंद्र शुक्ला।

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जितेंद्र शुक्ला

आत्मसमर्पण के लिए नक्सलियों को प्रेरित किया

नारायणपुर में 23 नक्सलियों ने पुलिस के सामने बिना हथियार के समर्पण कर दिया। एसपी जितेंद्र शुक्ल और आईटीबीपी के द्वितीय कमान अधिकारी केएन पंत के सामने के सामने बगैर हथियार के आत्मसमर्पण किया । एसपी ने कहा कि सभी नक्सली सदस्य पिछले एक साल से पुलिस के संपर्क में थे।

वे समाज की मुख्यधारा में शामिल होना चाह रहे थे। पुलिस ने इनके चाल-चलन, व्यवहार एवं समाज के साथ पुनः सामान्य नागरिक की तरह जुड़ने की इच्छा को देखते हुए एक मौका दिया है।

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पुनर्वास नीति से आत्मसमर्पण का प्रयास

नक्सलियों को आम जन व आम जीवन से जोड़ने के लिए जितेंद्र शुक्ला ने काफी अभियान चलाए हैं। उन्हीं अभियानों से एक पुनर्वास नीति थी जो नारायणपुर में पुलिस द्वारा चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान एवं शासन की पुनर्वास नीति से भी प्रभावित होकर 3 महिला नक्सली सहित कुल 10 नक्सली सदस्यों ने माओवादी संगठन को छोड़कर समाज की मुख्यधारा में जुड़ने आत्मसमर्पण किया। इनमें एक 5 लाख का इनामी नक्सली भी शामिल है। साथ ही 2 नक्सलियों ने भरमार बंदूक के साथ समर्पण किया है।

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वोट डालने की अपील

वोट डालने के लिए जितेंद्र शुक्ला ने तमाम प्रयास ऐसे चलाए जिससे वहाँ की जनता मे मताधिकार के प्रति जागरूकता पैदा हो सके। इन्हीं प्रयासों मेन से एक था अमर शहीद श्रधांजालि फुटबाल प्रतियोगिता 2018 का आयोजक जो जिला नारायणपुर पुलिस कुकराझोर थाने क्षेत्र ग्राम बेलगांव हाई स्कूल स्कूल मैदान मे फुटबाल मैच के साथ समाप्त हुआ।

ज़िसमे पुलिस अधीक्षक श्री ज़ितेन्द्र शुक्ल द्वारा खिलाड़ियो को पुरुस्कार वितरण कर आशिर्वाद प्रदान किया गया। साथ ही नारायणपुर पुलिस द्वारा मतदाता जागरूकता अभियान के तहत खेल मैदान मे evm machine का डेमो दिखाकर लोगो को अधिक से अधिक संख्या मे वोट डालने अपील की गई।

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नक्सलियों के खात्मे के लिए ऑपरेशन प्रहार शुरू

माओवादियों के खात्मे को लेकर पुलिस ने अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन शुरू कर दिया है, जिसका नाम प्रहार दिया गया है। इसे सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी झारखंड, बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र पुलिस को मिली है।

वहीं, इन्हें सहयोग सीआरपीएफ, एसएसबी, बीएसएफ और आईटीबीपी के जवान करेंगे। सूची में छत्तीसगढ़ के ज्यादा नक्सली, महाराष्ट्र से एक भी नहीं : ऑपरेशन प्रहार में पुलिस के टारगेट में देश के नामी गिरामी 25 नक्सली लीडर होंगे। इनकी सूची तैयार कर प्रभावित राज्य मुख्यालयों को भेजी जा चुकी है।

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अपनी टीम के साथ

जितेंद्र के नक्सलियों पर सख्त ऐक्शन के मात्र कुछ उदाहरण

जितेंद्र शुक्ला की बहादुरी के किस्से छत्तीसगढ़ के नक्सलियों में भी छाए हैं। जिसके सख्त ऐक्शन ने उनका जीना दूभर कर दिया। जितेंद्र के आदेश पर बहुत से ऐसे सफल आपरेशन हुए जिसने नकसलवाद को बेअसर करने में बड़ी भूमिका निभाई है।

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जितेंद्र शुक्ला

Friday, 13 Jul 5 नक्सली अरैस्ट

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में 5 नक्सलियों को अरैस्ट किया । इनमें एक लाख का इनामी नक्सली कमांडर व एक महिला नक्सली भी शामिल थी। पांचों को डीआरजी की सचिेंग टीम ने जंगल में घेराबंदी कर पकड़ा था। उन्हें गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेश कर कारागार भेजा गया।

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चार नकसली गिरफ्तार

4 july “वर्दीधारी नक्सली मारे गए”

नारायणपुर जिले के बालेबेडा और जड्डा – मरकूर जंगल में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में दो वर्दीधारी नक्सली मारे गए हैं जिन पर 8-8 लाख का ईनाम था। डीआरजी की टीम ने मुठभेड़ के बाद बड़ी मात्रा में कुकर बम एयर गन समेत नक्सली साहित्य बरामद किया था।

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ढेर नक्सली

November 18, 2017 दो नक्सली कमांडरों ढेर

ऑपरेशन प्रहार-2 के तहत सुकमा में एसटीएफ और डीआरजी के जवानों ने बाजार जा रहे दो नक्सली कमांडरों को ढेर किया। एक पर 10 लाख रूपए का तो दूसरे पर 8 लाख रुपए का इनाम घोषित था।

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खाली पड़े गोलियों के खोखे

26 Aug 2018 तीन लाख का इनामी नक्सली ढेर

डिस्टिक रिजर्व गार्ड व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई। इसमें तीन लाख का इनामी नक्सली मारा गया था । एसपी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि ग्राम छिनारी व कलेपाल में नक्सलियों की स्माल एक्शन टीम की मौजूदगी की सूचना पर नारायणपुर थाने से डीआरजी टीम भेजी गई थी। कलेपाल के जंगल में पहुंचते ही नक्सली भागने लगे। फोर्स के पीछा करने पर नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी थी।

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नक्सली

Sep 2018 चार नक्सली मारे गये

जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) का एक दल माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन पर था। इसी दौरान कुकराझोर थाने के तहत गुमियाबेडा गांव के जंगलों में दोपहर बाद करीब ढाई बजे मुठभेड़ हुई थी।  मुठभेड़ में एक स्थानीय कमांडर और एक महिला कैडर सहित चार नक्सली मारे गए। पुलिस ने यह जानकारी दी थी। पुलिस के मुताबिक चार उग्रवादियों में से कम से कम दो पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम था।

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एक नक्सली को मार गिराया

पुलिस और नक्सली के बीच हुए मुठभेड़ में पुलिस ने एक नक्सली को मार गिराया था। पुलिस ने मारे गए नक्सली से एक देशी कट्टा, चार कारतूस, एक खाली खोखा, एक चाकू, नक्सली वर्दी, दवाईयां, नक्सली साहित्य और दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद करने में सफलता पाई थी।  जितेंद्र शुक्ल ने बताया, “पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि नक्सली थाना बेनूर क्षेत्र के छिनारी और कलेपाल के बीच रेकी के लिए आने वाली है। सूचना मिलते ही रविवार सुबह नारायणपुर से डीआरजी की पुलिस टीम को रवाना किया गया था।”

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कब और कहां हुए हमले

11 मार्च 2017: सुकमा के दुर्गम भेज्जी इलाके में नक्सलियों द्वारा किए गए धमाके में गश्त पर निकले 11 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे।
11 मार्च 2014: नक्सलियों ने टाहकवाड़ा में सीआरपीएफ की टीम पर हमला किया था, जिसमें 16 जवान शहीद हो गए थे।
सितम्बर 2005: नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर स्थित गंगालूर रोड पर एंटी-लैंडमाइन वाहन के ब्लास्ट किया. जिसमें 23 जवान शहीद हुए थे।
जुलाई 2007: छत्तीसगढ़ के एर्राबोर अंतर्गत उरपलमेटा एम्बुश में 23 सुरक्षाकर्मी मारे गए

अगस्त 2007: छत्तीसगढ़ के तारमेटला में मुठभेड़ में थानेदार सहित 12 जवान शहीद हुए।
12 जुलाई 2009: राजनांदगांव के एम्बुश नक्सलियों के हमले में 29 जवान हुए थे शहीद।
6 अप्रैल 2010: दंतेवाड़ा ताड़मेटला में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए।
1 दिसंबर 2014: छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों ने सीआरपीएफ की 233 बटालियन पर हमला किया, हमले में 13 जवानों के शहीद हुए थे।

 

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