पीएनबी, देना, विजया, बैंक के ग्राहक जरूर पढ़ें यह खबर

एनटी न्यूज डेस्क/ श्रवण शर्मा/नई दिल्ली

सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों-बैंक आफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक का आपस में विलय किया जाएगा। इसके साथ देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक अस्तित्व में आएगा।

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यह निर्णय बैंकों की कर्ज देने की ताकत उबारने और आर्थिक वृद्धियों को गति देने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है। इस बात की जानकारी वित्तीय सेवा के सचिव राजीव कुमार ने दी।

वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार

वहीं, वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तीनों बैंकों के निदेशक मंडल विलय प्रस्ताव पर विचार करेंगे। ‘इस विलय से परिचालन दक्षता और ग्राहकों की मिलने वाली सेवा बेहतर होगी। उन्होंने कहा कि विलय के बाद अस्तितव में आनेवाला बैंक तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा पैमाने की मितव्ययिता के साथ मजबूत प्रतिस्पर्धी होगा। कुमार ने कहा कि नेटवर्क, कम-लागत जमा और अनुषंगी इकाइयों के मामले में बेहतर तालमेल होगा।

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वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार

उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के हितों तथा ब्रैंड इक्विटी का संरक्षण किया जाएगा। कुमार ने कहा कि देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के पूंजी समर्थन सुनिश्चित किया जाएगा। तीनों बैंक विलय के बाद स्वतंत्र रूप से काम करते रहेंगे।

राजीव कुमार ने तीनों बैंकों के विलय से होनेवाले फायदे भी गिनाए।

1. विलय से बना नया बैंक देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा।
2. आर्थिक पैमानों पर यह मजबूत प्रतिस्पर्धी बैंक होगा।
3. इसमें तीनों बैंकों के नेटवर्क्स एक हो जाएंगे, डिपॉजिट्स पर लागत कम होगी  सब्सिडियरीज में सामंजस्य होगा।
4. इससे ग्राहकों की संख्या, बाजार तक पहुंच और संचालन कौशल में वृद्धि होगी। साथ ही, ग्राहकों को ज्यादा प्रॉडक्ट्स और बेहतर सेवा ऑफर किए जा सकेंगे।
5. विलय के बाद भी तीनों बैंकों के एंप्लॉयीज के हितों का संरक्षण किया जाएगा।
6. बैंकों की ब्रैंड इक्विटी सुरक्षित रहेगी।
7. तीनों बैंकों को फिनैकल सीबीएस प्लैटफॉर्म पर लाया जाएगा।
8. नए बैंक को पूंजी दी जाएगी।

केंद्रीय वित्त मंत्री जेटली

एनपीए पर केंद्रीय वित्त मंत्री जेटली ने बताया कि 2008 से पहले 18 लाख करोड़ का लोन था। 2008 से 2014 के बाद ये 55 लाख करोड़ पहुंच गया। 2008 से 2014 के बीच अधिक लोन ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया। यूपीए सरकार ने एनपीए को छुपाने की कोशिश की। जानकारी के मुताबिक एनपीए 8.5 लाख करोड़ का था लेकिन 2.5 लाख करोड़ के बारे में सूचना दी गई। अरुण जेटली ने कहा कि एनपीए की वास्तविक तस्वीर तो 2015 में निकल कर सामने आई। यूपीए की सरकार ने एनपीए को कार्पेट के नीचे छिपा रखा था।

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अरुण जेटली

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