Monday , 29 April 2024

राधाष्टमी विशेषः आ गईं किशोरी जी, नन्द बाबा के बाद वृषभानु के घर भी बजी बधाई

एनटी न्यूज़ / मथुरा-बरसाना

जानिए कैसे मनाया जाता है श्री कृष्ण की प्यारी राधा रानी किशोरी जी का जन्मोत्सव

आज बरसाना में ‘गावो-गावो री बधाई’ भोर से ही शुरू है साथ ही लोगों में उत्साह भी जबरदस्त है क्योंकि आज से ठीक 15 दिन पहले अवतरित हुए रसराज श्री कृष्ण की अभिन्न, जिनसे अलग होकर वो स्वयं संपूर्ण नहीं होते, उन राधारानी का आज जन्मोत्सव है. राजा वृषभानु के घर आज राधाष्टमी बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है.

राधा प्यारी के जन्मोत्सव को कैसे मनाता है बरसाना…

वृषभानु नंदनी भादों महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को अनुराधा नक्षत्र तथा मूल नक्षत्र में जन्म लिया. लाडली मंदिर सेवायत के  अनुसार रात्रि दो बजे गर्भ गृह में राधारानी के मूल शांति के लिए 27 कुओं का जल, 27 पेड़ों की पत्ती, 27 तरह की औषधि, 27 मेवा, सोने चांदी की मूल-मूलनी तथा कांस्य का बना तेल का छाया पात्र के साथ हवन आदि 27 पूज्य ब्राह्मणों द्वारा किया गया.

किशोरी जी के लिए ये है प्यार, दुलार और भक्तिभाव…

वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ वृषभानु नंदनी का मूल शांत कराया.  राधाजी की जन्मोत्सव देसी-विदेशी श्रद्धालुओं ने अपनी-अपनी मनोकामनाएं मांगी. ब्रजभूमि की अधिष्ठात्री और श्रीकृष्ण की शक्ति किशोरीजू का जन्म आज सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः चार बजे उनके निज महल में हुआ. लाडली के जन्मोत्सव का साक्षी होने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु बरसाना पहुंचे हैं.

जन्म लिया है राधा प्यारी ने…

ब्रज और बरसाना में जन्माष्टमी की तरह राधाष्टमी भी एक बड़े त्यौहार के रूप में मनाई जाती है. वृंदावन में भी यह उत्सव बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. मथुरा, वृन्दावन, बरसाना, रावल और मांट के राधा रानी मंदिरों में इस दिन को उत्सव के रुप में मनाया जाता है.  वृन्दावन के ‘राधा बल्लभ मंदिर’ में राधा जन्म की खुशी में सब रसिक लोग भक्ति में झूम उठते हैं. मंदिर का परिसर “राधा प्यारी ने जन्म लिया है, कुंवर किशोरी ने जन्म लिया है” के सामूहिक स्वरों से गूंज उठता है.

कुछ इस तरह सराबोर हो जाते हैं भक्त

मंदिर में बनी हौदियों में हल्दी मिश्रित दही को इकट्ठा किया जाता है और इस हल्दी मिली दही को गोस्वामियों पर उड़ेला जाता है. इस पर वह और अधिक झूमने लगते हैं और नृत्य करने लगते हैं. राधाजी के भोग के लिए मंदिर के पट बन्द होने के बाद बधाई गायन का कार्यक्रम होता है. इसके बाद दर्शन खुलते ही दधिकाना शुरु हो जाता है. इसका समापन आरती के बाद होता है.

ये है मान्यता…

वेद तथा पुराणादि में राधाजी का ‘कृष्ण वल्लभा’ कहकर गुणगान किया गया है, वही कृष्णप्रिया हैं. राधाजन्माष्टमी कथा का श्रवण करने से भक्त सुखी, धनी और सर्वगुणसंपन्न बनता है. भक्तिपूर्वक श्री राधाजी का मंत्र जाप एवं स्मरण मोक्ष प्रदान करता है. श्रीमद् देवी भागवत श्री राधा जी की पूजा की अनिवार्यता का निरूपण करते हुए कहा है कि श्री राधा की पूजा न की जाए तो भक्त श्री कृष्ण की पूजा का अधिकार भी नहीं रखता. श्री राधा भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं.

रिपोर्टः बादल शर्मा

डेस्क एवं संपादनः योगेश मिश्र

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