Thursday , 16 May 2024

मथुरा : पंचायतः ग्राम पंचायत सदस्य के पास भी है ’लोकसेवक’ का दर्जा

एनटी न्यूज / मथुरा / शिव प्रकाश शर्मा

● पंचायतः ग्राम पंचायत सदस्य के पास भी है ’लोकसेवक’ का दर्जा ।
● सोमवार को ग्राम पंचायत सदस्य के उप चुनाव में हुई नामांकन वापसी ।
● महत्वपूर्ण होने के बाद भी 504 में से 2020 ग्राम पंचायतों का पूरा नहीं हुआ कोराम ।
● मथुरा की 504 ग्राम पंचायतों में हैं ग्राम पंचायत सदस्य के 6560 पद ।
● धारा-28, पंचायत सदस्य को भारतीय दण्ड संहिता-21 के अंतर्गत ’लोकसेवक’ का दर्जा देती है ।
● किसी भी चुने हुए जनप्रतिनिधि को प्राप्त होता है जो जो शासन संचालन में शामिल होते हैं ।
मथुरा। जनपद में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया अभी भी जारी है। 2020 ग्राम पंचायतों का कोराम पूरा कर गठन कराने के लिए ग्राम पंचायत सदस्यों का चुनाव होना है। सोमवार को नामांकन वापस लेने की थिति थी।
   ग्राम पंचायत सदस्य को भी लोकसेवक का दर्जा प्राप्त होता है। ग्राम पंचायत सदस्य बन कर जनता की सेवा का अवसर तलाशा जा सकता है। बावजूद इसके जनपद की 504 मंे से 220 ग्राम पंचायतांे में अभी ग्राम पंचायत का कोरम पूरा नहीं होने से गठन नहीं हो सका है। यहां ग्राम प्रधानों को शपथ नहीं दिलाई गयी है। इन पंचायतों के ग्राम प्रधान दूसरी पंचायतों के प्रधानों की तरह चुनाव जीते हैं लेकिन शपथ ग्रहण नहीं कराई गयी है। ग्रामीणों ने वार्ड सदस्य का चुनाव लडने में रूचि नहीं दिखाई और पंचायत गठन के लिए जरूरी सदस्य भी पूरे नहीं हुए। इसके पीछे बडी वजह ग्रामीणों को ग्राम पंचायत सदस्य के अधिकारांे की जानकारी न होना भी है।
– गोवर्धन में ऐसी पांच ग्राम पंचायते हैं, राया में 37, मथुरा में 24, फरह में 23, चैमुहां में 15, छाता में 26, नंदगांव में 17, बलदेव में 16, मांट में 25 व नौहझील विकास खंड में 32 ग्राम पंचायतों में शपथ ग्रहण नहीं हो सकी थी। कुल 220 ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत सदस्यों के दो तिहाई पद भी नहीं भरे जा सके हैं। यह स्थिति तब है जब ग्राम विकास अधिकारी और बीडीओ ने अपनी तरफ से भरकस प्रयास किया था।
– उत्तर प्रदेश पंचायतीराज नियमावली का नियम-72 के तहत् पंचायत सदस्य चाहे तो पंचायत के किसी भी कार्य, दस्तावेज, लेख, रजिस्टर, प्रस्ताव तथा संस्थागत मसले का निरीक्षण कर सकता है। पंचायतीराज अधिनियम की धारा-26, ग्राम पंचायत सदस्य को पंचायत की बैठक में प्रस्ताव पेश करने का अधिकार देती है। सदस्य चाहे तो प्रधान व संबंधित प्रशासन से प्रश्न पूछ सकता है। धारा-28, पंचायत सदस्य को भारतीय दण्ड संहिता-21 के अंतर्गत ’लोकसेवक’ का दर्जा देती है। यह दर्जा, उन सभी अधिकार प्राप्त पदाधिकारियों तथा चुने हुए प्रतिनिधियों को प्राप्त होता है, जो शासन संचालन में शामिल होते हैं। क्या यह कम महत्वपूर्ण दर्जा है ? त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मंे ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव सबसे छोटा होता है। छोटा हैसियत में नहीं बल्कि मतदाताओं की संख्या के आधार पर है।
– त्रिस्तारीय पंचायत चुनावांे की प्रक्रिया अभी जारी है। सोमवार को सोमवार नामांकन वापसी का दिन था। हकीकत यह है कि पंचायतीराज अधिनियम जो भी शक्तियां, अधिकार अथवा कर्तव्य प्रदान करते हैं, वे पंचायत नाम की संस्था के होते हैं न कि किसी एक व्यक्ति अथवा पद के। इस नाते, पंचायत को प्राप्त सभी कर्तव्य व अधिकारों में पंचायत सदस्य का भी साझा होता है। वार्ड मेम्बर, कोई महत्वहीन पद नहीं है। पंचायतों के संविधान के अनुच्छेद 243 (ग) 2, सदस्यों को चुने बगैर तीनों स्तर की पंचायतों के गठन की इजाजत नहीं देता।

ग्राम सभा के कार्य—

● ग्राम सभा गांव के हित में योजना बनाती है, और उन्हें लागू करती है।
● ग्राम सभा ग्राम पंचायत का बजट पारित कर एकत्रण के नियम बनाती है।
● सार्वजनिक संपत्तियों की रक्षा करती है।
● लाभार्थियों का चयन करती है।
● जनसुनवाई के माध्यम से पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाती है।
● समाज के सभी वर्गों में मेल-जोल व एकता बढ़ाने का काम करती है।
● प्रौढ़ शिक्षा का कार्यक्रम की व्यवस्था करती है।
● अन्य मामले जो पहले से तय हों (जैसे परिवार कल्याण, पर्यावरण सुधार,टीकाकरण)
वर्जन—
73वां संविधान संशोधन, वार्ड मेम्बरों को पांच महत्वपूर्ण भूमिकाएं प्रदान करता है। ग्राम पंचायत सदस्य, वार्ड सदस्य अथवा वार्ड अध्यक्ष, न्याय पंचायत सदस्य, न्याय पंचायत प्रमुख, स्थाई समिति सदस्य, सभापति तथा ग्राम पंचायत विकास योजना का मुख्य सहयोगी की भूमिका है।
डा. प्रीतम सिंह, डीपीआरओ