Tuesday , 30 April 2024

अतिकुपोषित बच्चो का होगा चिन्हीकरण एवं एनआरसी में इलाज

प्रयागराज : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जनपद में सितंबर माह में राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जायेगा । इस बार “कुपोषण छोड़,पोषण की ओर,थामे क्षेत्रीय भोजन की डोर” थीम पर आधारित होगा | पोषण माह गंभीर कुपोषित बच्चों की प्रारंभिक पहचान कर उन्हें उचित इलाज एवं कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उनके स्वास्थ्य सुधार के लिए पोषण माह का आयोजन जिले में किया जाएगा।


जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज राव ने बताया कि बच्चों एवं किशोरियों तथा धात्री व गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए सितंबर माह में पोषण माह का आयोजन होगा। पोषण माह अभियान के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को पोषण एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पोषण माह में खास बात यह होगी की रसोई और न्यूट्री गार्डेन विकसित कर पौधे लगाए जाएंगे। भूमि का अभाव होने पर गमलों का सहारा लिया जाएगा । पोषण की गति को कोरोना काल मे बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय पोषण माह कार्यक्रम मनाया जाएगा ।

उन्होंने बताया की पूरे माह हर सप्ताह अलग कार्यक्रम कर पोषण के प्रति जागरूकता की जाएगी | जिसमे प्रथम सप्ताह में पोषण सरकारी स्कूल, आवासीय स्कूल,आंगनबाड़ी केंद्र, ग्राम पंचायत की अतरिक्त भूमि पर पोषण वाटिका की स्थापना करना | द्वितीय सप्ताह में योगा एवं आयुष के सत्रों का आयोजन बच्चो,किशोरी बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं को केन्द्रित करते हुए | तृतीय सप्ताह में पोषण सम्बन्धी प्रचार प्रसार सामग्री अनुपूरक पुष्टाहार का वितरण एवं चतुर्थ सप्ताह में सैम/मैम बच्चो का चिन्हीकरण का अभियान चलाया जायेगा |

उन्होंने ने बताया कि पोषण माह मे विभिन्न विभागों से सामंजस्य स्थापित किया जाएगा और 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों का वजन एवं लंबाई की नाप ली जाएगी । सैम एवं मैम बच्चों का चिन्हांकन कर स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से स्वास्थ्य की जांच कराया जाएगा और आवश्यकता अनुसार उन्हें एनआरसी में भी भर्ती कराया जाएगा।

गांवो में होगी पोषण पंचायतें

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि पोषण माह के दौरान अधिक से अधिक वर्चुअल बैठकें होंगी ।मोबाइल के जरिए भी लोगों को जानकारी दी जाएगी। बच्चों में रोग एवं मृत्यु दर कम करने के लिए उनमें कुपोषण की पहचान की जाएगी और गांव में पोषण पंचायतों का आयोजन होगा और स्थानीय स्तर पर इनका प्रबंधन विभागीय कन्वर्जन के मध्यम से किया जायेगा।