Monday , 20 May 2024

वित्त मंत्रालय ने आरबीआई को लिखा पत्र, कहा- कैसा है आपका निगरानी तंत्र

एनटी न्यूज़ डेस्क/ वित्त मंत्रालय

वर्षो तक पंजाब नेशनल बैंक की एक ही शाखा में गड़बड़ी होती रही, लेकिन इसकी भनक बैंकिंग सेक्टर के नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को भी नहीं लगी. अब जब पीएनबी में उद्योगपति नीरव मोदी और उसकी कंपनियों की तरफ से किए गए घोटाले की परतें खुलने लगी हैं तो सवालों के घेरे में आरबीआई भी है.

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आरबीआई को पत्र लिख कर पूछा

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने इस बारे में आरबीआई को पत्र लिख कर पूछा है कि आखिर इतना बड़ा मामला किस तरह से उसकी नजर से बचा रह गया?

आरबीआई से पूछा गया है कि किन वजहों से यह गड़बड़ी हुई है.

वित्त मंत्रालय के मुताबिक पीएनबी में किए गए फ्रॉड ने पूरे बैंकिंग तंत्र को लेकर जो सवाल उठे हैं, उनकी समीक्षा जरूरी है. यह समीक्षा आरबीआई ही करेगा क्योंकि निगरानी तंत्र की जिम्मेदारी भी उसी की है.

यही वजह है कि आरबीआई को पत्र लिखकर यह सवाल किया गया है कि आखिर चूक कहां हुई है.

निगरानी व्यवस्था है, बेहद कमजोर

वित्त मंत्रालय को अब इस बात का अहसास हो रहा है कि बैंकों के कामकाज खासतौर पर विदेशों से होने वाले लेन-देन को लेकर जिस तरह की अभी निगरानी व्यवस्था है, वह बेहद कमजोर है.

उसी का फायदा नीरव मोदी व उसके सहयोगियों ने उठाया है. अगर ऐसा नहीं होता तो इतने लंबे अर्से तक यह घोटाला नहीं चलता.

वित्त मंत्रालय को यह शक इसलिए भी हुआ है क्योंकि बैंकों के विदेशों से होने वाले लेन-देन की निगरानी को लेकर आरबीआई के साथ लगातार विचार विमर्श होता रहा है.

अभी तक पीएनबी की तरफ से जो बातें इस घोटाले को लेकर बताई जा रही हैं, उसको भी सरकार शक की नजर से देख रही है. खास तौर पर स्विफ्ट तकनीक से हस्तांतरित होने वाली सूचना (लेंटर ऑफ अंडरटेकिंग) के दर्ज नहीं होने का तर्क सरकार के गले भी नहीं उतर रहा है.

वित्त मंत्रालय ने उठाये बड़े सवाल

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अगर यह मान भी लिया जाए कि पीएनबी के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से उनके कोर बैंकिंग सिस्टम में इसे दर्ज नहीं करने की साजिश रची गई है.

तब भी दूसरे बैंकों के सिस्टम में इस लेनदेन पर निगरानी करने वाली एजेंसियों की निगाह कैसे नहीं पड़ी.

ऐसे में आने वाले दिनों में जांच एजेंसियां पीएनबी व इस घोटाले में फंसे अन्य बैंकों के खातों की जांच करने वाले ऑडीटरों की भूमिका की भी जांच पड़ताल कर सकती हैं.

वित्त मंत्रालय में कोई भी यह बात मानने को तैयार नहीं है कि एलओयू जारी करने की प्रक्रिया को लगातार कई वर्षो तक छिपाकर रखा जा सकता है.

ख़बरों के मुताबिक एलओयू को जारी करने की व्यवस्था ही ऐसी है कि उसके लिए ऊपर तक मंजूरी लेने की जरूरत होती है.

अब तक 5716 करोड़ की संपत्ति जब्त

11,400 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले में जांच एजेंसियों द्वारा तलाशी और पूछताछ का सिलसिला पांचवें दिन भी जारी रहा. ईडी के अधिकारियों ने सोमवार को घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी के मुंबई स्थित घर पर छापा मारा.

ईडी के अफसरों ने मुंबई, पुणो, औरंगाबाद, ठाणो, कोलकाता, दिल्ली और लखनऊ समेत देश के कई शहरों में 38 ठिकानों पर छापेमारी की.

इन छापों के दौरान नीरव और मेहुल चौकसी के ठिकानों से 22 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई. इनमें हीरे, सोने के गहने और अन्य आभूषण शामिल हैं.

इस तरह अब तक कुल मिलाकर 5,716 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है.