एनटी न्यूज़ / गोरखपुर / सुनील पांडेय
राज्य सरकार ने राजस्व लेखपालों की हड़ताल छह महीने के लिए प्रतिबंधित कर दी है. हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश में अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) के तहत कार्रवाई होगी. राजस्व विभाग ने इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया है.
क्या है एस्मा?
शासनादेश का अनुपालन न करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि हड़ताल पर जाने वाले लेखपालों के विरुद्ध अधिनियम के तहत बगैर वारंट जारी कराए गिरफ्तारी, निलंबन और छह माह की जेल तथा आर्थिक दंड की कार्रवाई की जा सकती है.
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एस्मा लग जाने के बाद भी धरना
गौरतलब है कि उ.प्र. लेखपाल संघ ने अपनी मांगों को लेकर तीन जुलाई से कामकाज का संपूर्ण बहिष्कार कर प्रदेश भर के तहसील मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. ‘एस्मा’ लगाए जाने के बाद तीन जुलाई से इनका धरना प्रदर्शन आज भी तहसीलों जारी है.
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जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक…
इसी क्रम में गोरखपुर में तहसील में सभी लेखपाल आज काम-काज ठप करके धरना दे रहे हैं. लेखपालों की हड़ताल को एस्मा के तहत प्रतिबंधित किये जाने पर गोरखपुर के लेखपाल संघ के तहसील अध्यक्ष दिनेश कुमार पंकज ने कहा है कि किसी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई के दबाव में आंदोलन वापस नहीं होगा.
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क्या लेखपालों की मांगें मानने योग्य हैं? देखिए वीडियो-
किसी दमनकारी नीति से नहीं हटेंगे पीछे
अपनी मांगें पूरी न होने तक प्रदेश के 32 हजार लेखपाल जेल जाने से लेकर किसी भी दमनात्मक कार्रवाई तक के लिए तैयार हैं. अब देखना यह दिलचस्प होगा इस लड़ाई में प्रदेश सरकार जीतती है या लेखपाल संघ. प्रदेश सरकार जहां एक तरफ लेखपालों के आंदोलन को दबाने के लिए एस्मा लगा रही है वहीं लेखपाल भी अपने आंदोलन से पीछे हटने वाले नहीं है.
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इस जंग से जनता का हो रहा नुकसान…
फ़िलहाल इस लड़ाई का नतीजा जो भी आए नुकसान जनता का ही हो रहा है. निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र आदि प्रमाण पत्रों का जारी होना लेखपालों के हड़ताल की वजह से रुका हुआ है. इन प्रमाण पत्रों के जारी न होने के कारण छात्रों का एडमिशन रुका हुआ है.
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संपादनः योगेश मिश्र