एनटी न्यूज़ डेस्क/वायरल-विशेष/शिवम् बाजपेई
हर किसी को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिये. सचेत रहना चाहिए उन सभी रोगों से जो प्राण घाती होते हैं, जिनसे जान भी जा सकती हैं. बात करे ‘स्वाइन फ्लू’ की तो इन दिनों सोशल मीडिया में एक ऐसा मैसेज तेजी से वायरल हो रहा हैं. जिसमें दावा किया जा रहा हैं कि स्वाइन फ्लू ख़त्म हो जाएगा.
होली में ख़त्म होगा स्वाइन फ्लू…
शायद आप तक भी यह वायरल मैसेज पहुंचा हो. जो यह बता रहा हैं, और निवेदन कर रहा हैं कि अगर होलिका दहन में जाए तो कपूर और छोटी इलायची लेकर जाए.
होलिका दहन के समय इसे जलाने पर स्वाइन फ्लू का वायरस 70 प्रतिशत ख़त्म हो जाएगा.
डॉ प्रयाग डाभी अहमदाबाद…
इस तरह के वायरल मैसेज में अहमदाबाद के डॉ प्रयाग का नाम शीर्षक में हैं. और अंत में निवेदन किया गया हैं कि इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाए.
मैसेज की पुष्टि…
इस वायरल मैसेज के बाद न्यूज़ टैंक्स टीम ने लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल के डॉ अरुण निरन से ख़ास बात-चीत की और जानना चाहा कि क्या वास्तव में ऐसा है.
डॉ अरुण निरन के मुताबित कपूर और छोटी इलायची में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं. जिससे कई तरह के कीटाणु इसकी खुशबू से मर जाते हैं. वहीं इस तरह की कोई रिसर्च नहीं की गई कि अगर उपरोक्त कार्य होता हैं तो इस फ्लू का वायरस सत्तर प्रतिशत ख़त्म हो जाएगा.
डॉ अरुण निरन ने कहा कि वैसे भी होली के पावन पर्व में होलिका दहन में प्रयोग होने वाले गाय के गोबर से बने उपले भी जलाए जाते है जो वातावरण में फैले तमाम वायरस को कम कर देते हैं. हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई वैज्ञानिक कारण भी होता है.
क्या है स्वाइन फ्लू…
यह एक बेहद संक्रामक रोग हैं, जिसकी पहचान अप्रैल 2009 में की गई थी. उस समय इसकी वजह से कई लोगों की मृत्यु हो गई थी. इसी वजह से वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएचओ) ने महामारी करार दिया था.
एच वन एन वन इन्फ्लूएंजा नाम का यह रोग ठण्ड के मौसम में ज्यादा होता हैं. इस महामारी के वायरस की जिंदगी 20 घंटे की होती हैं. इस वायरस के वाहक सूअर है इसलिए इसे स्वाइन फ्लू कहा जाता हैं.
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कैसे फैलता है…
संक्रमण रोग होने के कारण इसका वायरस तेजी से फैलता हैं. जब कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तब इसके वायरस छोटी-छोटी बूंदों के साथ निकलकर हवा में मिल जाते हैं. जो पास खड़े व्यक्ति के अन्दर सांस लेते समय प्रवेश कर जाते हैं. और व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं.
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लक्षण…
इस फ्लू के लक्षण आम सर्दी-जुखाम की तरह ही होते हैं. पर लापरवाही करने पर प्राणघातक साबित हो सकते है.
इस रोग में सर में तेज दर्द, खांसी, बुखार, जुखाम, गले में खराश, ऐसा महसूस होना कि गले में कुछ फंसा हैं, नाक से पानी बहना, नाक का जाम होना, ठण्ड लगना, उल्टी आना, भूख ना लगना, मांसपेशियों में खिचाव,बदन में दर्द होना और कमजोरी सा लगाना प्रतीत होता हैं.
सबसे ज्यादा इन्हें प्रभावित करता हैं ये…
यह फ्लू सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं, पचास वर्ष से ज्यादा आयु वाले व्यक्तियों, पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता हैं.
वहीं जिन लोगों को मधुमेह, हाई-बीपी या कर्क रोग होता हैं या जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती हैं उन्हें भी इस रोग से ज्यादा खतरा रहता हैं.
उपचार…
इस फ्लू की पहचान और पुष्टि डॉक्टरी जाँच से की जाती हैं इसके बाद मरीज को डॉक्टर की देखरेख में अलग रखा जाता हैं.
स्वाइन फ्लू के उपचार में टामीफ्लू (ओसेल्टामिविर) नामक दवा रोगी की उम्र और वजन के हिसाब से दी जाती हैं.
बचाव…
इस महामारी से दूर रहने के लिए निम्न एहतियात बरतना चाहिए.
- स्वाइन फ्लू की वैक्सीन और इंजेक्शन दोनों का निर्माण हो चुका है. डॉक्टर से सलाह लेकर आप इन्हें लगवा सकते हैं.
- खांसते या छींकते समय हाथ में रुमाल या टिशु पेपर जरुर रखे. और बाद में रुमाल को अवश्य साफ़ करे और टिशु पेपर को नष्ट कर दें.
- बाजार में हैण्ड सैनीटाइजर उपलब्ध हैं आप उसका भी प्रयोग करे जो हाथों में पनप रहे कीटाणुओं का सफाया करता हैं.
- खांसते और छींकते वक्त दूसरों से छः या सात फिट की दूरी बनाए रखिये.
- स्वाइन फ्लू प्रभावित इलाके में जाने से पहले मास्क अवश्य पहने, इस स्थिति में बेवजह भीड़-भाड़ वाले इलाके में नहीं जाना चाहिए.
- उपरोक्त बताए गए लक्षण या शक होने पर डॉक्टरी जांच अवश्य करानी चाहिए.
अपने मित्रों, परिवार के सदस्यों और अन्य जान पहचान वालों को यह जानकारी अवश्य शेयर करे. किसी वायरल मैसेज से ज्यादा उनके लिए यह जानना जरुरी होगा.
धन्यवाद
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