Monday , 20 May 2024

यूपी : यहाँ पीएम मोदी का शौच मुक्त भारत अभियान कागजों पर चल रहा है

एनटी न्यूज डेस्क/ औरैया/ अक्षय कुमार मिश्रा 

खबर पीएम नरेंद्र मोदी के शौच मुक्त भारत अभियान से जुड़ी है। जो केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा है। इस अभियान के तहत बनने वाले शौचालयों में जमकर घोटाला हो रहा है। उत्तर प्रदेश के औरैया से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमें केवल कागजों पर ही शौचालय का निर्माण करवा दिया गया।

केवल कागजों पर हो रहा निर्माण

केंद्र सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौच मुक्त भारत का नारा देकर हर घर मे ओडीएफ के  तहत शौचालय बनवाने का मिशन जारी है।  अभी हाल ही में औरैया  का नाम भी  उन 16 जिलों की सूची में शामिल है।
औरैया में ओडीएफ के तहत 2016-17 में 7 ब्लॉक के 149 गाँवों में शौचालय का निर्माण कागजों पर पूरा दिखाया गया है लेकिन हकीकत कुछ और है। इस जन लाभकारी योजना को कागजों में अच्छा काम करने पर मुख्यमंत्री ने औरैया जिले के जिला पंचायती राज अधिकारी केके अवस्थी  को प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया।
 लेकिन जब न्यूजटैंक्स की टीम शौचालयों की हकीकत जानने के लिए गाँव गयी तो माजरा कुछ और ही थी।

औरैया के भाग्यनगर ब्लॉक के दखलीपुर गांव में 63 घरों में शौचालय का निर्माण लिस्ट में दर्शाया गया है लेकिन हकीकत में मात्र 10 शौचालय ही बने हैं। वह भी अधूरे जिनका उपयोग अभी नहीं हो सकता। वही जिन लाभार्थियों के नाम लिस्ट में डालकर जिले के अधिकारी अवार्ड ले रहे है। शायद यह बात गांव के उन लाभार्थियों को पता भी नही है।

 भाग्यनगर का दूसरा गांव बुरहानपुर जहां कागजों में 203 शौचालय बनकर तैयार हो गये है लेकिन गांव में अभी तक कोई भी शौचालय नही बना। यह भी कह सकते है कि बुरहानपुर निवासी अधिकारियों की इस करतूत से खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।

 भाग्यनगर ब्लॉक का तीसरा गाँव सिंगलामऊ की कागजी दर्ज संख्या 205 है लेकिन हकीकत में शौचालय केवल 49 ही बने हैं।

 7 ब्लाक हैं औरैया में

औरैया जिले में 7 ब्लॉक है। सभी ब्लॉक के 149 गाँवों को कागजों पर शौच मुक्त दिखाया गया है। कागजों में दिखाकर सूबे के मुख्यमंत्री से अवार्ड प्राप्त कर जिले के अधिकारियों ने वाहवाही लूट ली है।

इस बारे में जब जिले के जिला पंचायती राज अधिकारी केके अवस्थी से बात की तो वह अवार्ड के बारे में बताने में कतई नही हिचके और कागजों पर शौचालयों के निर्माण करने की बात को दोहराया।
बता दें कि जब 3 गाँवों की हकीकत से कागजी आंकड़ें मेल नही खा रहे हैं तो उन149 गांव की हकीकत क्या होगी जो कागजों में दर्ज हैं। आखिर शासन की नजर कब ऐसे अफसरों पर होगी जो अपनी हुकूमत चलाकर गलत आंकड़ें पेश कर शासन की आँखों मे धूल झोंक रहे है। अब देखना यह कि यह कागजी आंकड़ें हकीकत में उन गाँवों तक कब पहुंचेंगे जिनकी वजह से अफसरों को अवॉर्ड मिल चुका है?