Tuesday , 14 May 2024

वेश्यावृत्ति के मुद्दे को लेकर सब मौन क्यों हैं ?

चुनावों में महँगाई, देश की सुरक्षा, कानून, बेरोजग़ारी आदि की बातों के मुद्दे बहुत अहम् माना जाता है। लेकिन इस बात से परे एक बहुत बड़ा मुद्दा वेश्यावृत्ति का है । समाज में जो महिलायें इस दल -दल से मुक्त है वह इज़्ज़त के साथ इस समाज में रह सकती है लेकिन उन महिलाओं का क्या जो इस अभिशाप का शिकार है। शायद उनकी इज़्ज़त समाज में होना बहुत मुश्किल है आखिर ऐसा है ही इसलिए क्योंकि हमारा समाज इन्हे कभी अपना नहीं सकेगा । वैसे इस बात को किसी ने जोरदार ढंग से कभी नहीं उठाया है ।

यूं तो कहना बहुत आसान है कि जिस्म को बेचकर खुद मोटी रकम वेश्याएं वसूलती होंगी। परन्तु परदे के पीछे उनकी ज़िन्दगी की सच्चाई कोई नहीं जानता है। कोई नहीं जानता कि वह एक जिन्दा लाश है जो सिर्फ अपना जिस्म बेचती है। वह मज़बूरन अपनी ग्राहकों को रिझाती है जिससे ग्राहक खुश हो और वह ज्यादा से ज्यादा कमा सके ।

मेरे हिसाब से यह बात कहने को बहुत अज़ीब है लेकिन सच है। वे  कभी यह काम स्वयं से नहीं करना चाहती है । इसके लिए उन्हे प्रताड़ित किया जाता है कभी उन्हे किसी तहख़ाने में बंद कर के, कभी उनकी हालत मरणासन्न करके । यह हद्द तब पर होती है जब उनमे से कई लड़कियां मर जाती है। अपनी जान बचाने का इन लड़कियों के पास एक ही रास्ता है अपने आप को इस जिस्म फिरोशी के दल-दल में डाल देना ।

देश में हज़ारों सफेदपोश इस कार्य में लिप्त है। इन सफेदपोश लोगों ने हज़ारों दलाल पाल रखे है। जो जगह-जगह से  भोली -भाली लड़कियों का अपहरण करके लाते है और उनका व्यापार करते है। जहाँ उन्हे ग्राहकों को रिझाने के तरीके बताये जाते है। यह लड़कियां उम्र में बहुत छोटी होती है। जिन्हे इन चीज़ों के बारे में कुछ भी पता नही होता है, विरोध करने पर उनको जान से मारने तक की धमकी दी जाती है कई बार तो हालात इतने बिगड़ जाते है कि वह खुद से मर जाती है या उनके अत्याचारों से।

छोटी उम्र की लड़कियों की मांग अधिक होती है। दलाल इन लड़कियों को अलग-अलग शहरों से ‘जिस्म की मंडी’ तक पहुँचाते है। कुछ लड़कियों की सप्लाई तो बड़े होटलों में भी की जाती है ।

इस कार्य की पूरी जानकारी पुलिस प्रशासन के पास होती है। पुलिस छापेमारी नहीं करती क्योकि उन्हें चुप रहने पर मोटी रकम दी जाती है। इस दल-दल से कोई भी लड़की भाग भी नहीं पाती है।

इस धंधे में हकदारी तो हमारे समाज के नेताओं की भी है। जो इस जिस्मफरोशी के धंधे को खुद बढ़ावा देते है। हम अक्सर छापेमारी में देखते या सुनते होंगे कोई न कोई नेता स्वयं जुड़ा होता है इन चीज़ों में, लेकिन कोई भी इन चीज़ों पर आवाज नहीं उठाता है ।

आज समाज की कोई भी लड़की सुरक्षित नही है। कोई लड़की घर से अकेले नहीं निकल सकती। समाज में रह रहे दरिंदे हर पल उन मासूम लड़कियों पर नज़र लगाए बैठे है। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इस समाज को अपराध मुक्त बनाये। जहाँ हर लड़की अपनी मर्ज़ी से सुरक्षित जीवन व्यतीत कर सके।

“मै  बस एक सवाल उठा रही हूँ ; क्या वेश्यावृत्ति समाज के लिए अहम् मुद्दा है?”

‘इसके लिए कौन जिम्मेदार है?’

हमारा समाज या वो लड़कियाँ ।।

 

लेखकपूजा बैरवा

(पूजा एक डॉक्युमेंटरी फिल्म मेकर है। हाल ही में इन्होने एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं पर एक लघु फिल्म बनाई थी जिसके लिए आपको दिल्ली में सम्मानित भी किया जा चुका है।)

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