Tuesday , 21 May 2024

‘राम लहर’ के बाद ‘मोदी लहर’ रोकने साथ आयीं सपा-बसपा

एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति

देश की सबसे बड़ी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए पूर्वोत्तर से आई खुशियों की ख़बरों के बीच उत्तर प्रदेश से नकारात्मक खबर आ रही है. उत्तर प्रदेश के दो लोकसभा क्षेत्रों गोरखपुर और फूलपुर में उपचुनाव होने वाले हैं. खबर इन्हीं से जुड़ी है. प्रदेश में बदलते सियासी समीकरण की बानगी देखने को मिल रही है. बसपा और सपा के इस चुनाव में साथ आने की खबर आ रही है.

क्या है पूरा मामला…?

असल में खबर ये है कि गोरखपुर और फूलपुर में होने वाले उपचुनाव में प्रदेश की दो धुरविरोधी पार्टियां बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी साथ आ रहे हैं.

दोनों ने भाजपा को हराने के लिए एक-एक लोकसभा क्षेत्र पर संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. बसपा के जोनल कोआर्डिनेटर अशोक गौतम ने आज यानी रविवार को इसकी घोषणा की.

क्या कहा अशोक गौतम ने…?

जोनल कोआर्डिनेटर अशोक गौतम ने बताया की बसपा मुखिया मायावती के निर्देश पर पार्टी फूलपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल का समर्थन करेगी.

अशोक गौतम ने कहा कि हमारे कार्यकर्ता समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में माहौल भले ही बनाएंगे लेकिन हम समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के साथ मंच साझा नहीं करेंगे. बस कार्यकर्ताओं को चुनाव में लगना है.

अशोक गौतम ने कहा कि बसपा का लक्ष्य भाजपा का सफाया करना है. इसी कारण उनकी पार्टी ने यहां पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है. हमारे कार्यकर्ता बीजेपी को खत्म करना चाहते हैं इसलिए बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने फूलपुर में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नगेन्द्र सिंह पटेल को वोट और सपोर्ट करने का फैसला किया है.

उन्होंने कहा कि फूलपुर में हो रहे लोकसभा उपचुनाव के बारे में बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के जिम्मेदार नेताओं से फीडबैक लिया था. बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी दलों को एक होने की जरूरत है.

जोनल कोआर्डिनेटर गौतम ने जिला कार्यालय में पार्टी नेताओं से चर्चा के बाद यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि भाजपा को हराने के लिये बीएसपी ने सपा का समर्थन किया है. यह समर्थन फिलहाल इस लोकसभा उपचुनाव के लिए है.

क्यों हो रहा है उपचुनाव…?

गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर 11 मार्च को चुनाव होने हैं और 14 मार्च को मतगणना होगी. दोनों सीटें बीजेपी के लिए इसलिए खास मायने रखती हैं क्योंकि गोरखपुर से मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ और फूलपुर से डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सांसद थे.

इन दोनों के इस्तीफे के बाद ये सीटें खाली हो गईं थीं। उपचुनाव में भाजपा ने वाराणसी के पूर्व महापौर कौशलेंद्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है. सपा ने नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता जेएन मिश्र के पुत्र मनीष मिश्र पर दांव लगाया है.

तो मकसद राज्यसभा जाना है…

अगर राजनीति के जानकारों की माने तो उनका कहना है कि इस गढ़बंधन के बाद संभवत: मायावती का राज्यसभा में जाना आसान हो जाएगा. इसी लिए मायावती ने समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का दांव चला है.

यूपी में 23 मार्च को 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है. 19 विधायकों वाली बीएसपी एक भी सीट जीतने की स्थिति में नहीं है, ऐसे में उसे एसपी से एक सीट पर समर्थन की उम्मीद है.

मोदी लहर में साथ आए सपा-बसपा

बता दें कि इससे पहले 1993 में एसपी-बीएसपी एक साथ चुनाव लड़ चुके हैं. तब लक्ष्य ‘राम लहर’ को रोकना था। तब एसपी-बीएसपी गठबंधन को 176 सीटें मिली थीं और बीजेपी को 177 सीटें.

हालांकि गेस्ट हाउस कांड के बाद गठबंधन टूटा तो दोनों दल कभी साथ नहीं आ पाए. वैसे, अखिलेश यादव कई बार खुले मंच से गठबंधन का प्रस्ताव दे चुके हैं, लेकिन मायावती ने इनकार ही किया है.