Wednesday , 8 May 2024

देवरिया जिले का नाम ‘ शहीद रामचन्द्र विद्यार्थी नगर’ रखा जाये : बीजेपी विधायक 

एनटी न्यूज डेस्क/ लखनऊ 

तिंदवारी से बीजेपी विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने देवरिया जिले का नाम बदलकर शहीद रामचंद्रा विद्यार्थी नगर किए जाने की मांग की है । इसके लिए विधायक बृजेश प्रजापति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।
विधायक बृजेश प्रजापति ने कहा कि अमर शहीद रामचन्द्र विद्यार्थी ने मात्र 13 साल, 4 माह और 13 दिन की उम्र में माँ भारती को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया । अंग्रेजों ने न्यायालय पर ब्रिटिश हुकूमत का झण्डा उतारकर, तिरंगा झण्डा लगाने के लिए रामचंद्र विद्यार्थी के सीने में तीन गोलियां मार दी। जिसके बाद वह शहीद हो गए ।
विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने कहा कि देवरिया का नाम ‘ शहीद  रामचन्द्र विद्यार्थी नगर’ रखना ही माँ भारती के लाल को सच्ची श्र्द्धांजलि होगी । इसके लिए मेरी ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है ।

कौन थे रामचन्द्र विद्यार्थी 

अमर शहीद रामचंद्र विद्यार्थी का जन्म एक अप्रैल 1929 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के नोतन हथियागढ़ नामक गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम मोतीरानी और पिताजी का नाम बाबूलाल प्रजापति था। शहीद श्री रामचंद्र विद्यार्थी14 अगस्त 1942 को देवरिया जाइंट मजिस्ट्रेट उमराव सिंह के इजलास ( न्यायालय) पर तिरंगा फहराने के लिए स्कूल से विद्यार्थियों को पैदल लेकर चल पड़े ।
जिसके बाद रास्ते में आंदोलनकारियों का हुजूम जुड़ता गया। सभी स्कूल, कॉलेज बंद हो गए।  सरकारी इजलास पर पहुँचते ही रामचन्द्र विद्यार्थी ने तिरंगा फहराने की घोषणा की। सभी विद्यार्थियों ने पिरामिड बनाकर विद्यार्थी को इजलास पर चढ़ा दिया ।
जिसके बाद विद्यार्थी ने अंग्रेजी झण्डा उतारकर फेंक दिया और भारत माता की जय-जयकार करते हुये तिरंगा झण्डा फहरा दिया। जिस पर मजिस्ट्रेट ने गोली चलाने का आदेश दे दिया। जिस पर विद्यार्थी ने कहा कि मेरे सीने में चाहे जितनी गोलियां मार दो, मेरा लक्ष्य पूरा हो गया।
इसके बाद अंग्रेजों ने विद्यार्थी के सीने में तीन गोलियां मार दी, इसके बावजूद विद्यार्थी भारत माता की जय- जयकार करते रहे और तिरंगे की आन-बान और शान के लिए 13 साल, 4 माह और 13 दिन की उम्र में शहीद हो गए । रामचन्द्र विद्यार्थी को भारतीय स्वतन्त्रता की लड़ाई में सबसे कम उम्र में देश के लिए शहीद होने का गौरव प्राप्त हुआ ।