Saturday , 27 April 2024

‘उम्मीदों के प्रदेश’ को उत्तम प्रदेश बनाने की कवायद कितनी ‘जमीनी’ होगी

एनटी न्यूज़ डेस्क/ त्वरित टिप्पणी/ योगेन्द्र त्रिपाठी

देश में आबादी के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विकास की नई इबारत लिखी जाने के लिए अब कागज-कलम-स्याही सब तैयार है. प्रदेश की राजधानी लखनऊ में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने बड़े स्तर पर निवेश लाने के लिए ढ़ेरों तैयारियों के साथ कई सालों बाद एक बार फिर इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है. तैयारियों की बानगी आप कुछ इस तरह देख सकते हैं कि निवेशकों और प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रीय नेताओं को लुभाने के लिए राजधानी लखनऊ को दुल्हन की तरह सजाया गया है. खैर, ये अब बाद की बात है.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कैबिनेट के डेढ़ दर्जन सदस्यों के साथ रिबन काटकर प्रदेश सरकार के 11 महीने के कार्यकाल की गौरवगाथा बयान करती इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन कर दिया है. दो दिनों तक चलने वाले इस समारोह में करीब 5000 हजार उद्योगपति मेहमानों के शामिल होने की सम्भावना है. इस समारोह का उद्घाटन प्रधानमंत्री कर रहे हैं तो समापन देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा होगा.

लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित इस इन्वेस्टर्स समिट में 30 सत्रों में सम्मेलन होंगे. इसमें देश के तमाम उद्योगपतियों के अलावा जापान, नीदरलैंड, मॉरीशस समेत सात देश कंट्री पार्टनर के रूप में हिस्सा ले रहे हैं.

बात अब पते की करते हैं…

मुलायम सरकार के बाद प्रदेश में कई सालों बाद आयोजित हो रहे इस इन्वेस्टर्स समिट को लेकर योगी सरकार काफ़ी उत्साहित है. सरकार को यह भरोसा है कि वह इसके ज़रिए राज्य में क़रीब चार लाख करोड़ से ज्यादा का का निवेश करवा सकेगी.

इस सम्मलेन से उत्साहित उत्तर प्रदेश के उद्योग मंत्री सतीश महाना कहते हैं कि इस समिट के शुरू होने से पहले ही सैकड़ों एमओयू पर हस्ताक्षर हो चुके हैं. अगर हम एमओयू के संख्या की बात करें तो यह करीब 1045 है और इससे आने वाला निवेश हमारे इस बजट के बराबर यानी करीब 4 लाख 28 हजार करोड़ रूपये हैं.

वह आगे बताते हैं किहम लोग इसे लेकर बेहद उत्साहित हैं क्योंकि ख़ुद प्रधानमंत्री इसमें आ रहे हैं. इसके बाद देश-विदेश के निवेशकों में ये विश्वास जगेगा कि उत्तर प्रदेश में निवेश का माहौल तैयार हो रहा है.

अनुमान से ज्यादा जुटाया निवेश

राज्य सरकार ने इस समिट से पहले ही यह अनुमान लगाया था कि वह इस इन्वेस्टर्स समिट के ज़रिए क़रीब चार लाख करोड़ रुपए का निवेश जुटा लेगी. लेकिन सम्मलेन से पहले ही योगी सरकार ने निवेशकों के साथ तमाम स्तर पर बातचीत करते हुए करीब 4 लाख 28 हजार करोड़ रूपये का निवेश जुटा लिया है.

असल में, इस सम्मेलन की तैयारी काफ़ी पहले से हो रही थी और जिसे लेकर प्रदेश के मुखिया  ख़ुद बहुत सक्रिय रहे हैं. उन्होंने खुद कई प्रदेशों में आयोजित होने वाले इस तरह की मीटिंग्स में अपने प्रदेश को प्रस्तुत किया और निवेशकों का भरोसा जीतने का काम किया.

इस इन्वेस्टर्स समिट से मुख्यमंत्री योगी को इतनी उम्मीदें हैं कि वह यह ताल ठोकर कहते हैं कि इस समिट के जरिए आने वाले निवेश से रोजगार के अनेक अवसर सृजित होंगे और प्रदेश के नौजवानों को रोजगार मिलेगा, प्रदेश में ज्यादा पैसा आने से लोगों को अनेक अवसर मिलेंगे तो कई तरह की अन्य संभावनाएं भी पैदा होंगी.

इन क्षेत्रों से है सरकार को ज्यादा उम्मीदें

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प्रदेश सरकार को मुख्य रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन और ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश की ज़्यादा उम्मीद है. इसलिए ही शायद प्रदेश सरकार इन क्षेत्रों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे रही है और लोगों का ध्यान इसी तरफ खींचना भी चाहती है.

उद्योग मंत्री सतीश महाना कहते हैं कि सम्मेलन में उद्यमियों के लिए घर वापसी का एक विशेष सत्र होगा. इस सत्र में उन उद्यमियों को शामिल किया गया है, जो यूपी छोड़कर दूसरे प्रदेश में जाकर बिज़नेस कर रहे हैं.

सरकार अपने मंशा और मेहनत के मुताबिक कह रही है कि हम निवेशकों को बेहतर से बेहतर माहौल दे रहे हैं. हम लालफीताशाही जैसी अनुप्युक्त व्यवस्था को हम खत्म करके इसे टेक्नोलॉजी से जोड़ रहे हैं, ताकि हमारे यहाँ निवेश करने वाले किसी भी निवेशक को कोई परेशानी न हो.

लेकिन इसके इतर जानकारों का मानना है कि सिर्फ़ सम्मेलन कर देने से माहौल तैयार नहीं होता और निवेश लायक़ माहौल सिर्फ़ राज्यों के ही चाहने से नहीं तैयार हो जाया करते हैं. इसमें कई और संस्थाओं का महतवपूर्ण योगदान होता है. ये बात योगी सरकार की मंशा पर कहीं न कहीं सवाल जरुर खड़े करेगी. खासकर निवेशकों के साथ हुए ढ़ेरों एमओयूज को जमीन पर उतारते समय.

यह महज प्रदेश का ही नहीं देश का मसला है

उत्तर प्रदेश के आर्थिक मामलों के जानकारों की अगर मानें तो वह सरकार के इन दावों को कहीं न कहीं नकारते हुए नज़र आते हैं. उनका मानना है कि निवेशकों के साथ हुए समझौतों को जमीन पर लागू करना या करवाना सिर्फ़ प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का मसला है. भारतीय अर्थव्यवस्था की जो मौजूदा स्थिति है, निवेश उससे किसी प्रदेश में होने वाले निवेश तय होंगे. हमारे देश में लोन की ब्याज दरें काफ़ी ज़्यादा हैं.

यहाँ पर हर कोर इंडस्ट्री में क्षमता का उपभोग स्तर सत्तर प्रतिशत से कम है. मार्केट में जब तक मांग नहीं बढ़ेगी, आर्थिक स्थितियां ठीक नहीं होंगी. इसी वजह से तब तक निवेश नहीं आएगा, माहौल चाहे जितना बना लीजिए.

जानकार कहते हैं कि अर्थव्यवस्था में मांग की कमी के दो तात्कालिक कारण हैं- पहली नोटबंदी और दूसरी जीएसटी. इन दोनों फैसलों ने जनता पर कहीं न कहीं प्रभाव जरुर डाला है. उनका मानना है कि ऐसे में इन झटकों से उबरे बिना अर्थव्यवस्था में मज़बूती नहीं आएगी और तब तक निवेश आने की संभावना न के बराबर है.

जानकारों का कहना है कि निवेश और निवेश आकर्षित करने के लिए ऐसे बड़े सम्मेलन भाजपा शासित राज्यों में काफी लोकप्रिय हैं लेकिन सवाल उठता है कि इतने भारी-भरकम सम्मेलनों के बावजूद निवेश आता कितना है और अगर आता भी तो वह जमीन पर क्यों नहीं दिखता है?

जानकर कहते हैं कि असल में किसी भी उद्योग में निवेश के लिए आधारभूत संरचनाओं की प्रदेश में अभी भी बहुत कमी है और ख़ासकर बिजली और कनेक्टविटी के क्षेत्र में. यही वजह है कि निवेश आज भी नोएडा और ग़ाज़ियाबाद जैसे जगहों तक ही सीमित है.

यह दो दिन का उत्सव है, बाकी आगे…?

प्रदेश में निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए आयोजित यह इवेंट दो दिन चलेगा. इसके कारण प्रदेश की राजधानी को दुल्हन की तरह सजाया संवारा गया है. यहाँ आपने वाले मेहमानों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा के लिए कई स्तरों में सिक्योरिटी का इंतजाम किया गया है. राजधानी के कई रास्तों पर ट्रैफ़िक डायवर्जन के कारण आम लोगों को ख़ासी परेशानी भी हो रही है. लेकिन सब सही है. अगर निवेश आता है और तस्वीर 100 फीसद में से 10 फीसद ही बदलती है तो यह योगी सरकार और प्रदेश की आम जनता के फक्र की बात होगी.

लेकिन अगर साइन हुए एमओयूज को जमीन पर उतारने में कोई दिक्कत आती है तो जनता की सारी उम्मीदों के साथ-साथ योगी सरकार कके सारे किए कराये चीज़ों पर पानी फिरते देर नहीं लगेगा.