Sunday , 28 April 2024

मथुरा के इस गांव में आज भी नहीं है बिजली, पानी और सड़क

एनटी न्यूज / मथुरा / शिवप्रकाश शर्मा

  • आजादी के 72 साल बाद भी विकास से वंचित
  • नर्क जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं लोग
  • सरकारी योजनाओं का सच आया सामने
  • मथुरा विकास की बाट जोहता गांव नगला सपेरा
नगला सपेरा में बिजली, पानी और सड़क

मथुरा की छाता तहसील के गांव बसई बुजुर्ग के नगला सपेरा में लगभग 200 वोटिंग का यह नगला आज भी विकास के लिए सरकार की तरफ बड़ी उम्मीद लगाए बैठा है लेकिन जनप्रतिनिधियों व सरकारी अफसरों की अनदेखी के चलते गांव में मूलभूत समस्याएं जस की तस खड़ी हैं. बिजली-सड़क-पानी, सरकार चाहे लाख दावे कर ले लेकिन उसके सारे दावे इस नगले में आकर फेल हो जाते हैं.

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बिजली की तारें तो खींच दी गईं लेकिन…..

सबसे पहले बात करते हैं विद्युत विभाग की महत्वाकांक्षी योजना सौभाग्य योजना की जिसके तहत गरीब लोगों के घर बिजली पहुंचाने की बात सरकार कर रही है और गरीब के घर बल्ब जले इसके लिए उचित दिशानिर्देश सरकार द्वारा विभाग के अधिकारियों को दिए गए हैं विभाग की करतूत तो देखिए कि गांव में मीटर तो लगा दिए गए लेकिन उनको लगे हुए 4 महीने हो चुके हैं. गांव वाले आज तक उनमें करंट दौड़ने का इंतजार कर रहे हैं. लाइन तो आ गई लेकिन करंट नहीं आया. और तो और एक ग्रामीण ने बताया कि अभी लाइन चालू नहीं हुई है लेकिन बिजलीघर वाले बिल लेने आ गए तो हम आप से पूछते हैं कि भाई जब करंट नहीं है तो पैसे कैसे.

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ओडीएफ घोषित हो चुका है गांव लेकिन शौच अब भी खुले में?

अब बात करते हैं ओडीएफ की मथुरा जिले को 2 अक्टूबर को ओडीएफ घोषित कर दिया गया प्रशासन द्वारा बड़े-बड़े दावे किए गए लेकिन इस नगला सपेरा में शौचालय तो बने है लेकिन कहीं ना कहीं ग्रामीणों की मानें तो मानकों की अनदेखी के चलते यह केवल शोपीस बनकर ही खड़े हैं कई लोगों ने तो ने अपना भुश रखने के लिए व अपने बर्तन तक रखने के लिए यूज कर रहे हैं गांव की एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि प्रधान से उसने कहा कि उसके यहां शौचालय बनवा दे लेकिन उसके घर शौचालय नहीं बनवाया गया और मैं खुले में शौच करने को मजबूर है कई लोगों के शौचालय बने तो है लेकिन पर छत नहीं है तो कहीं मानकों की अनदेखी करी गई है जिसके चलते ज्यादातर शौचालय गांव में सफेद हाथी बन कर खड़े हैं. कहीं न कहीं सरकारी धन का दुरुपयोग है. सरकार द्वारा एक अच्छी योजना स्वच्छता के लिए ग्रामीणों की बीमारियों से सुरक्षा हो इसके लिए खुले में शौच से मुक्ति को धन आवंटन किया गया लेकिन कहीं न कहीं अधिकारियों की अनदेखी के चलते और ग्राम प्रधानों की मनमानी के कारण यह योजना सही तरीके से लागू नहीं हो पा रही है. शौचालय कागजों में तो बन गए लेकिन मानकों की अनदेखी के चलते आज भी इनका उपयोग सही से नहीं हो पा रहा है.

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बात करते हैं नगला के भीतर मौजूद और समस्याओं की..

यहां अपने मौत के दिन पूरे कर रहे हैं…

नगला सपेरा में रहने वाली महिला मीना ने बताया काफी दुख भरे शब्दों में उसने कहा कि हम लोग यहां अपनी मौत के दिन पूरे कर रहे हैं रह नहीं रहे. क्योंकि गांव में ना तो साफ-सफाई की कोई व्यवस्था है ना कोई सफाई कर्मी इस नगले में सफाई के लिए आता है गांव वाले और वह अपने हाथों से यहां साफ सफाई करते हैं शौचालय बने तो हैं लेकिन वह सिर्फ देखने के लिए हैं. आज भी हम लोग जंगलों में शौच के लिए जाते हैं नाली खड़ंजा बिल्कुल खराब पड़े हुए हैं. कोई देखने वाला नहीं है.

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नेता केवल वोट मांगने ही यहां आते हैं..

गांव के ही रहने वाले एक युवक गौरेन्द्र ने बताया कि वह लोग सपेरे जाति के हैं और चूंकि सरकार द्वारा अब सांपों के पालने पर बैन लगा दिया गया है तो वह मांग कर या मेहनत मजदूरी कर कर अपना परिवार का लालन-पालन कर रहे हैं. गांव में उन्होंने भी मूलभूत समस्या बताएं पहली समस्या पानी की बताई पानी गांव में ज्यादातर हैंड पंप खराब हैं. कुछ हैंडपंपों में पानी खारा है जिसके चलते के पीने के पानी की समस्या बहुत है. सफाई कर्मी गांव में आते नहीं इन लोगों को खुद अपने हाथों से ही सफाई करनी पड़ रही है. ज्यादातर लोगों को गांव में राशन भी नहीं मिल पा रहा है .राशन डीलर द्वारा कह दिया गया के ऊपर से ही लोगों के नाम कट गए हैं. गांव में रहने वाले ज्यादातर लोग अनपढ़ हैं. वह अपनी पैरवी खुद नहीं कर सकते जिसके लिए उन्होंने प्रधान को चुना. प्रधान भी उन लोगों की मदद नहीं करते हैं. ऐसा आरोप गांव वालों ने लगाया. बात करें जनप्रतिनिधियों की तो यह क्षेत्र सरकार के यूपी सरकार के मंत्री लक्ष्मी नारायण का है जोकि योगी सरकार में एक कद्दावर मंत्री हैं. ग्रामीणों की मानें तो इलेक्शन के टाइम सभी नेता आते हैं. पक्ष और विपक्ष के और बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. बड़े-बड़े दावे करते हैं और वोट होने के बाद फिर कोई नेता यहां देखने नहीं आता है.

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सरकार प्रदत्त कोई भी सेवा नहीं मिलती यहां के वासियों को

गांव में कई बुजुर्ग हैं जिनको न तो सरकार की तरफ से कोई पेंशन मिल रही है और न ही कोई मूलभूत सुविधाएं. सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं छात्राओं, युवकों, बुजुर्गों, किसानों व महिलाओं के लिए चलाई जा रही हैं लेकिन यहां ज्यादातर लोगों को उन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. कहीं न कहीं यह सरकारी सिस्टम की लापरवाही को दर्शाता है.

प्राइमरी के नौनिहाल पढ़ते हैं सुविधाओं के अभाव में…

यहां के माध्यमिक विद्यालय की बात करें तो यहां न तो लाइट का कनेक्शन है और ना ही विद्यालय की बाउंड्री ही है. प्रधानाचार्य ने बताया कि बाउंड्री ना होने की वजह से विद्यालय में आवारा पशुओं खुश आते हैं हैंडपंप भी खराब हैं. पीने के पानी के लिए बच्चों को गांव जाकर पानी पीना पड़ता है. इन समस्याओं से कई बार अपने उच्च अधिकारियों व ग्राम प्रधान को भी अवगत कराया गया है लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है.

जब टीम ने विद्युत विभाग से संपर्क करना चाहा तो….

वहीं इस बारे में जब हमारी टीम ने विनोद गंगवार एस ई विद्युत विभाग देहात से बात की तो उन्होंने कैमरे के आगे बोलने से इंकार कर दिया लेकिन तत्काल विभाग की कमियों को दूर करने के लिए अपने अधीनस्थ को आदेश दिए और जल्दी ही जो खामियां हैं सही कर दी जाएगी ऐसा उन्होंने भरोसा दिलाया.

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