Monday , 20 May 2024

ईरान ने इंडिया को दिए एक नहीं नौ तोहफे, अब आतंकवाद से दोनों देश साथ मिलकर लड़ेंगे

एनटी न्यूज़ डेस्क/ भारत-ईरान

भारत और ईरान के संबंधो को अधिक ऊंचाई पर ले जाने के लिए ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भारत के तीन दिवसीय दौरे पर हैं. उन्होंने अपने दौरे के आखिरी दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपने 23 सदसीय दल के साथ के द्विपक्षीय बातचीत की. इस संयुक्त वार्ता में रक्षा और सुरक्षा, व्यापार और निवेश तथा ऊर्जा सहित नौ मुद्दों पर भारत-ईरान के बीच सहयोग बढ़ाने का लक्ष्य रखते हुए एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया.

राष्ट्रपति हसन रूहानी

किस-किस क्षेत्र में हुआ समझौता

भारत- ईरान के बीच दोहरे कर से बचने, वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने और प्रत्यर्पण संधि की पुष्टि करने सहित नौ समझौते हुए हैं.

आज यानि शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा और सुरक्षा, व्यापार और निवेश तथा ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लक्ष्य से ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ ठोस और फलदायी बातचीत की.

दोनों समक्ष नेताओं ने इस भेंट के दौरान क्षेत्रीय हालात पर भी विस्तृत चर्चा हुई और सभी क्षेत्रों सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया गया.

क्या कहा पीएम मोदी ने…

संयुक्त प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि चाबहार पोर्ट के निर्माण में आपने (ईरान) जिस तरह का नेतृत्व उपलब्ध कराया, मैं उसके लिए आपका शुक्रिया अदा करता हूं.

उन्होंने कहा कि मैंने 2016 में तेहरान का दौरा किया था. अब आपके (हसन रूहानी) यहां आने से हमारे रिश्ते और मजबूत होंगे. हम साथ चलकर बेहतर विश्व के निर्माण में और सहयोग करेंगे.

क्या कहा हसन रूहानी ने

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि हम दोनों देशों (भारत और ईरान) के बीच रेलवे रिलेशन्स विकसित करना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि दोनों देशों (भारत और ईरान) के बीच के संबंध व्यापार और कारोबार से आगे जाएंगे.

पड़ोसियों को आतंक से मुक्त करना है धेय

साझा बयान जारी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं 2016 में तेहरान गया था और अब जब आप (रूहानी) यहां आए हैं तो इससे हमारे रिश्ते गहरे और मजबूत हुए हैं.”

उन्होंने कहा, “दोनों देश पड़ोसी अफगानिस्तान को सुरक्षित और समृद्ध देखना चाहते हैं. हम अपने पड़ोसियों को आतंक से आजाद देखना चाहते हैं.”

रुहानी ने कहा- भारत का शुक्रिया

इसके बाद, हसन रुहानी ने अपनी बात रखते हुए कहा, “हमें भारत सरकार से काफी प्यार मिला और इसके लिए मैं यहां के लोगों और सरकार का शुक्रिया अदा करता हूं.”

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के रिश्ता कारोबार और व्यापार से बहुत आगे है. ये इतिहास से जुड़ा है. परिवर्तन और अर्थव्यवस्था इन 2 महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारी राय एक है.

राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि हम दोनों देशों के बीच रेलवे संबंध भी शुरू करना चाहते हैं. दोनों देश चाबहार पोर्ट के विकास में भी शामिल हैं.

प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया है, ”सभ्यताओं का मिलन, समकालीन संदर्भ. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर रूहानी का भारत में स्वागत किया. उन्होंने लिखा है.”

उन्होंने एक अन्य ट्विट में लिखा, ”दोनों नेताओं ने व्यापार और निवेश, ऊर्जा, संपर्क, रक्षा और सुरक्षा तथा क्षेत्रीय मुद्दों पर ठोस और फलदायी वार्ता की. इससे पहले रूहानी का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया.”

इसके भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी राष्ट्रपति रूहानी से मुलाकत की और कई मुद्दों पर बातचीत की.

चाबहार होगा ट्रांजिट रूट

रूहानी शुक्रवार को हैदराबाद की मक्का मस्जिद में नमाज अता करने पहुचे थे. नमाज़ अता करने के बाद उन्होंने कहा था कि ईरान का चाबहार बंदरगाह भारत के लिए (पाकिस्तान से गुजरे बगैर) ईरान और अफगानिस्तान, मध्य एशियाई देशों के साथ यूरोप तक ट्रांजिट रूट खोलेगा.

उन्होंने यह भी कहा कि ईरान तेल और नेचुरल गैस रिसोर्स के मामले में अमीर है. इसलिए वह भारत की तरक्की के लिए अपने नेचुरल रिसोर्सेज साझा करने को तैयार है.

इसके अलावा रूहानी ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए वीजा नियमों में ढील देने की भी मंशा जाहिर की.

भारत को ईरान की जरूरत क्यों है? इसको तीन प्वॉइंट के जरिए समझा जा सकता है…

पहला: भारत को सस्ते ऑयल और गैस के लिए पश्चिम एशिया की जरूरत है. ईरान समेत इस रीजन के बाकी देश इस सच्चाई को जानते हैं.

अमेरिका अब अपनी जरूरतों के लिए इन मुल्कों का मोहताज नहीं रहा. भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है. एनर्जी सेक्टर में दोनों देश मिलकर बड़ी कामयाबी हासिल कर सकते हैं.

दूसरा: चाबहार पोर्ट दोनों देशों का प्रोजेक्ट है. कुछ हद तक शुरू हो चुका है. यहां से बिना पाकिस्तान जाए अफगानिस्तान और आगे के मुल्कों तक सामान सप्लाई किया जा सकता है.

दोनों ही देश चाहते हैं कि चाबहार का काम तय वक्त से पहले पूरा किया जाए. ईरान में इससे रोजगार बढ़ेगा. रूहानी इस पर भारत की मदद चाहेंगे.

तीसरा: ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि रूस, पाकिस्तान और कुछ हद तक ईरान भी अफगान तालिबान को मदद करते हैं. अफगानिस्तान में भारत की बड़ी मौजूदगी है.

तालिबान अफगान सरकार और अमेरिका के लिए खतरा है. रूहानी पर भारत दबाव डाल सकता है कि वो तालिबान और दूसरे आतंकी संगठनों पर सख्ती दिखाएं.