Monday , 29 April 2024

सुप्रीम कोर्ट: अनाथालय से अचानक दो लाख बच्चे आखिर कहाँ गायब हो गए

एनटी न्यूज डेस्क/ श्रवण शर्मा/ नईदिल्ली 

चाइल्ड केयर सेंटर के बच्चों की संख्या में राज्यों और केंद्र के डेटा में अंतर पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी कोर्ट सलाहकार ने डेटा पढ़ते हुए पाया कि चाइल्ड लाइन का डेटा कहता है कि कुल 4.73 लाख बच्चे शेल्टर होम में देशभर में रहते हैं जबकि मिनिस्ट्री के डेटा के मुताबिक 2.61 लाख बच्चे शेल्टर होम में हैं। इस तरह दो लाख का अंतर है।

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सुप्रीम कोर्ट

सवाल दो लाख बच्चे का है। क्या आप (सरकार) स्थिति से अवगत हैं। ‘दो लाख बच्चे गायब, ये क्या हो रहा है?’ कृपया हमें बताएं। हमें ये दुखद लग रहा है कि बच्चों को नंबर की तरह गिना जा रहा है। बच्चों का जीवन है, दिल है, आत्मा हैं, ये कैसे चलेगा।

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साफ नहीं कि इन बच्चों का क्या हुआ

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, ‘‘यह साफ नहीं है कि बाकी के तकरीबन दो लाख बच्चों का क्या हुआ। ये बच्चे आंकड़ों से गायब लग रहे हैं.’’ बेंच ने केंद्र से कहा, ‘‘इन दो लाख के अलावा देश में कितने बच्चे लापता हैं।’’  बेंच ने कहा कि अगर कानून के प्रावधानों को ‘अक्षरश:’ लागू किया गया होता तो मुजफ्फरपुर और देवरिया में जिस तरह की बाल उत्पीड़न की घटनाएं हुईं, वो नहीं होतीं।

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न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर

केंद्र से जवाब दाखिल करे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये संभव है कि बच्चे गायब हों या फिर चाइल्ड केयर सेंटर फंड के लिए डेटा बढ़ाकर बता रहे हों। शेल्टर होम में रहने वाले बच्चों के अलग-अलग डेटा पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी और चिंता जताई है और कहा कि दो लाख बच्चे का क्या हुआ। कोर्ट ने इस तरह की समस्या से निपटने के केंद्र और राज्यों के जूरिडिक्शन में कमिटी गठित करने के बारे में केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा है।

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केंद्र और राज्य स्तर पर बने कमेटी

देशभर के शेल्टर होम के हालात पर चिंता जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अगर JJ एक्ट सही तरीके से लागू होता तो देवरिया और मुजफ्फरपुर जैसी घटनाओं को रोका जा सकता था। जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को कहा है कि देशभर के शेल्टर होम की निगरानी के लिए केंद्रीय व राज्य स्तर पर कमेटी बनाई जानी चाहिएं।

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केंद्र के वकील

केंद्र के वकील ने कहा कि डेटा में अंतर सर्वे में गलती से हो सकता है। केंद्र के वकील ने पीठ से कहा, ‘हम राज्यों द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों पर भरोसा करते हैं। राज्यों को बताना है कि इतना अंतर क्यों है? हम राज्यों से संपर्क करेंगे ताकि जान सकें कि कौन सा आंकड़ा सही है?’ ‘अगर ये बच्चे गुमशुदा हैं तो यह गंभीर चिंता का विषय है और यह बेहद खौफनाक है।

 

 

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